हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसे बर्फबारी में कमी, बाढ़, भूस्खलन और कृषि पर संकट को विस्तार से समझें। जानिए इसके कारण, समाधान और वर्तमान स्थिति।
हिमाचल प्रदेश में जलवायु संकट | (News Himachal)
हिमाचल प्रदेश, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढके हिमालय और अद्भुत दृश्यों के लिए जाना जाता है। तथापि, अब यह पहाड़ी राज्य भूस्खलन, बादल फटना (Cloudburst) और अचानक बाढ़ के एक निरंतर चक्र में फंसा हुआ है। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण राज्य के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और संवेदनशील हिमालय पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है।
तापमान में वृद्धि: हिमाचल प्रदेश में पिछली शताब्दी में औसत सतही तापमान लगभग 1.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। 1951-2010 के दौरान वार्षिक औसत अधिकतम तापमान में 0.06°C प्रति वर्ष और औसत तापमान में 0.02°C प्रति वर्ष की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
बदलते वर्षा पैटर्न: राज्य में वर्षा पैटर्न (Rain Pattern) में बदलाव आया है, जिससे अत्यधिक मौसम घटनाएं जैसे कि नदी और अचानक बाढ़, सूखा, हिमस्खलन, बादल फटना (Cloudburst), भूस्खलन और जंगल की आग की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ गई है। पिछले 25 वर्षों में वर्षा में 40% की कमी आई है।
बर्फबारी में कमी: शिमला और धर्मशाला जैसे क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों में बर्फबारी दस अंकों तक नहीं पहुँच पाई है, जिससे गंभीर (पारिस्थितिकीय) चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।
कृषि और बागवानी पर प्रभाव:
जल संसाधनों पर प्रभाव: पिछले तीन दशकों के दौरान सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में अधिशेष जल संतुलन में कमी देखी गई है। सितंबर से दिसंबर तक मासिक औसत बर्फबारी में कमी आई है, जबकि जनवरी और फरवरी में बर्फबारी में वृद्धि हुई है, जो सीजन में बर्फबारी में देरी का संकेत देता है। ब्यास और पार्वती नदियों के जल प्रवाह में भी कमी आई है।
पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: हिमालय के वन अनुसंधान संस्थान और GB पंत राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान के शोध से पता चला है कि हिमाचल की निचली पट्टी धीरे-धीरे उच्च ऊंचाई की ओर बढ़ रही है। क्षेत्र की एक दर्जन से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियाँ 95% तक कम हो गई हैं, और देवदार के पेड़ भी तनाव के लक्षण दिखा रहे हैं।
भूस्खलन और बाढ़: भारी वर्षा और बर्फ के पिघलने से मिट्टी का कटाव तेज हुआ है और भूस्खलन की संभावना बढ़ रही है। अनियोजित विकास और अपशिष्ट का अनुचित निपटान भी स्थिति को और खराब कर रहा है।
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) हिमाचल प्रदेश के लिए एक गंभीर खतरा है, जिससे कृषि, बागवानी, जल संसाधन और (पारिस्थितिकी तंत्र) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यदि तत्काल और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो इस खूबसूरत पहाड़ी राज्य का भविष्य और भी अनिश्चित हो सकता है।