Breaking news: Latest updates will scroll across the screen in this area!
Top Advertisement

हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी: एक गंभीर चुनौती – Unemployment in Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी (Unemployment in Himachal Pradesh) लगातार बढ़ रही है, वर्ष 2023-24 में बेरोजगारी दर 5.4% पहुंच गई है।

By: Akhil Sharma
Published on: April 11, 2025
Last edited on: 14 Apr 2025, 06:07 PM
हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी: एक गंभीर चुनौती – Unemployment in Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी: एक गंभीर चुनौती | (News Himachal)

हिमाचल प्रदेश, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में राज्य बेरोजगारी (Unemployment) की एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। राज्य सरकार के ‘आर्थिक सर्वेक्षण‘ रिपोर्ट 2024-25 (Economic Survey Report 2024-25) के अनुसार, 2023-24 में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) बढ़कर 5.4% हो गई, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। यह वृद्धि चिंताजनक है क्योंकि 2020-21 में यह दर केवल 3.3% थी, जो क्रमिक रूप से बढ़कर 4% (2021-22) और 4.4% (2022-23) हुई।

बेरोजगारी के कारण

हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • औद्योगीकरण की कमी: राज्य में पर्याप्त उद्योगों का विकास नहीं हो पाया है (Lack of Industrialization), जिसके कारण रोजगार के सीमित अवसर (Limited Employment Opportunities) उपलब्ध हैं। बुनियादी ढांचे की कमी भी औद्योगिक विकास में बाधा डालती है।
  • सरकारी नौकरियों पर निर्भरता: युवाओं में सरकारी नौकरियों (Government Jobs) के प्रति अधिक आकर्षण है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में अवसर सीमित हैं। तकनीकी प्रगति (Technological Advancement) के कारण गैर-मंत्रालयी नौकरियों में भी कमी आई है।
  • कौशल विकास की कमी: औद्योगिक इकाइयों की आवश्यकतानुसार कुशल श्रम की कमी है (Skill Gap), जिसके कारण स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने में कठिनाई होती है और उद्योगों को अन्य राज्यों से श्रमिकों को नियुक्त करना पड़ता है।
  • मौसमी रोजगार: राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि (Agriculture) और पर्यटन (Tourism) पर निर्भर है, जिनमें रोजगार की उपलब्धता मौसमी होती है, जिससे वर्ष के कुछ महीनों में बेरोजगारी बढ़ जाती है।
  • शिक्षा का स्तर: कुछ क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर (Education Level) उतना उन्नत नहीं है कि युवा आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकें।

बेरोजगारी के आंकड़े

‘आर्थिक सर्वेक्षण’ रिपोर्ट 2024-25 (Economic Survey Himachal 2024-25) के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है, जो 2022-23 के 3.8% से बढ़कर 2023-24 में 7% हो गई है। इसके विपरीत, इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर में मामूली कमी आई है (3.3% से 3.2%)। शहरी क्षेत्रों (Urban Areas) में, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है।

दिसंबर 2024 तक, राज्य के रोजगार कार्यालयों (Employment Offices) में 94,212 नौकरी चाहने वालों ने अपना पंजीकरण कराया था। हालांकि, इनमें से केवल 1.13% को सरकारी क्षेत्र में (Public Sector Employment) और 4.64% को निजी क्षेत्र (Private Sector Jobs) में रोजगार मिल सका। सबसे अधिक बेरोजगार युवा कांगड़ा (20,825), मंडी (18,128) और चंबा (7,434) जिलों में हैं।

Unemployment rate in Himachal Pradesh from year 2020 to 2024
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2020 से 2024 तक बेरोजगारी दर

सरकार के प्रयास

बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार कई प्रयास (Government Initiatives) कर रही है:

  • बेरोजगारी भत्ता योजना: सरकार शिक्षित बेरोजगार युवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ‘बेरोजगारी भत्ता योजना’ (Unemployment Allowance Scheme) चला रही है। इसके तहत, स्नातकोत्तर, स्नातक और 10+2 उत्तीर्ण आवेदकों को प्रति माह ₹1,000 और शारीरिक रूप से विकलांग आवेदकों को ₹1,500 का भत्ता अधिकतम दो वर्षों के लिए दिया जाता है।
  • मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना: यह योजना युवाओं को स्वरोजगार (Self-Employment) स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके तहत, संयंत्र और मशीनरी में ₹40 लाख तक के निवेश पर 30% पूंजीगत सब्सिडी (Capital Subsidy) प्रदान की जाती है।
  • कौशल विकास कार्यक्रम: सरकार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रदान करने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम (Skill Development Programs) चला रही है, ताकि उनकी रोजगार क्षमता बढ़ सके।
  • रोजगार मेलों का आयोजन: समय-समय पर रोजगार मेलों (Job Fairs) का आयोजन किया जाता है ताकि बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।

आगे की राह

हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान (Solution for Unemployment) करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसमें औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना, शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना, पर्यटन और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना, और युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। सरकार को ऐसे नीतिगत निर्णय लेने होंगे जो राज्य के युवाओं के लिए अधिक से अधिक स्थायी रोजगार के अवसर पैदा कर सकें।