नौतोड़ जमीन विवाद हिमाचल में गहराता जा रहा है। किन्नौर में जनजातीय लोगों की जमीन की मांग पर मंत्री नेगी ने चीन घुसपैठ की गंभीर चेतावनी दी है।
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किन्नौर, हिमाचल प्रदेश – हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने गुरुवार को एक बड़ा बयान देते हुए चेतावनी दी कि अगर किन्नौर के जनजातीय समुदायों को नौतोड़ जमीन का आवंटन नहीं किया गया तो अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख की तरह किन्नौर और लाहौल-स्पीति में भी चीन घुसपैठ कर सकता है।
राज्यपाल से मुलाकात से पहले सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान नेगी ने कहा, “जनजातीय क्षेत्रों में लोगों के पास बहुत कम जमीन है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है और लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। अगर सीमावर्ती इलाके खाली हो गए तो चीन को अतिक्रमण करने का मौका मिल जाएगा।”
वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के कारण 20,000 से अधिक नौतोड़ आवेदन लंबित हैं। 1980 में यह अधिनियम लागू होने के बाद वन भूमि पर आम लोगों का अधिकार समाप्त हो गया और किसी भी प्रकार के वन भूमि उपयोग के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक हो गई है।नेगी ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद-5 के तहत राज्यपाल को जनजातीय क्षेत्रों के हित में केंद्रीय कानूनों में संशोधन करने का अधिकार है। 2014 में राज्यपाल को एफसीए को निलंबित करने का प्रस्ताव भेजा गया था जिसके बाद 2014 से 2016 और फिर 2018 तक यह अधिनियम निलंबित रहा, जिससे जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों को नौतोड़ जमीन आवंटित की जा सकी थी।
मंत्री नेगी के अनुसार, भाजपा के शासनकाल में सिर्फ एक व्यक्ति को नौतोड़ जमीन दी गई, जबकि बाकी आवेदन अटके रहे। कांग्रेस सरकार के बनने के बाद 2023 में फिर से राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
नेगी ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द फैसला नहीं हुआ तो वे लोगों के साथ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा, “मैं पांच बार राज्यपाल से इस मुद्दे पर मिल चुका हूं और आज छठी बार मिल रहा हूं। हम संविधान के दायरे में जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के हित में राहत देने की मांग कर रहे हैं।”
राजभवन का कहना है कि उन्होंने सरकार से तीन प्रमुख बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है:
· लाभार्थियों की पहचान
· 20 बीघा से कम जमीन वाले आवेदकों की संख्या
· आवंटित की जाने वाली भूमि के स्थान के बारे में
राजभवन का कहना है कि अभी तक इन आपत्तियों का जवाब नहीं मिला है।
नौतोड़ नियम के तहत किन्नौर में उन लोगों को भूमि आवंटित की जानी है जिनके पास 20 बीघा से कम जमीन है। जनजातीय क्षेत्रों के लिए संविधान में विशेष प्रावधान हैं जिनके तहत राज्यपाल को केंद्रीय कानूनों में संशोधन करने का अधिकार है।
भविष्य की चिंताएं
इस मामले का जल्द समाधान न होने पर सीमावर्ती जनजातीय क्षेत्रों में पलायन बढ़ने और सुरक्षा चिंताओं के गहराने की आशंका है। सीमावर्ती क्षेत्रों के खाली होने से देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है, जैसा कि मंत्री ने अपने बयान में चेतावनी दी है।